Sunday, September 6, 2009

राहे-इश्क

राहे-इश्क पर मैं चला तेरे पैगाम के बाद,
रास्ता दिखता गया हर इक गाम के बाद,
ये पता चला मुझे सफर तमाम के बाद,
कि मंजिल दूर हो रही है हर मुकाम के बाद।

1 comment:

  1. ये पता चला मुझे सफर तमाम के बाद,
    कि मंजिल दूर हो रही है हर मुकाम के बाद। ..bahut khoobsurat bhav....manzile aati gyee or main kahta raha yeh meri manzil nahi ye meri manzil nahi.....

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